Bhakti Sutra of Narad
Osho
भक्ति यानी प्रेम- ऊर्ध्वमुखी प्रेम। भक्ति यानी दो व्यक्तियों के बीच का प्रेम नहीं, व्यक्ति और समष्टि के बीच का प्रेम। भक्ति यानी सर्व के साथ प्रेम में गिर जाना। भक्ति यानी सर्व को आलिंगन करने की चेष्टा। और, भक्ति यानी सर्व को आमंत्रण कि मुझे आलिंगन कर ले। भक्ति कोई शास्त्र नहीं है- यात्रा है। भक्ति कोई सिद्धांत नहीं है-जीवन-रस है। भक्ति को समझ् कर कोई समझ पाया नही। भक्ति में उूब कर ही कोई भक्ति के राज को समय पाता है। प्रस्तुत पुस्तक ‘भक्ति सूत्र’ में ओशो द्वारा नारद-वाणी पर प्रश्नोत्तर सहित दिए गए 20 अमृत प्रवचनो को संकलित किया गया है।
اللغة:
hindi
الصفحات:
374
ملف:
PDF, 3.70 MB
IPFS:
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